आप सभी को यह जानकर प्रसन्नता होगी कि 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो रहे हैं। और 25 अक्टूबर को संपन्न हो जाएंगे। पूरा देश नवरात्रों के आगमन की तैयारी कर रहा है नवरात्रि के पावन अवसर पर नौ देवियों की पूजा प्रार्थना होती है शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति नवरात्रों में माता की आराधना करता है वो लोग अपने जीवन में सभी प्रकार के क्लेशों का नाश कर देते हैं और अपने जीवन में सुख और समृद्धि व धन दौलत मान सम्मान यश प्रतिष्ठा सब लाते हैं वैसे तो नवरात्रे प्रत्येक वर्ष आते हैं किंतु इस वर्ष के नवरात्रे अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इस बार 58 वर्षों के पश्चात शनि मकर राशि में और देव गुरू बृहस्पति धनु राशि में रहेंगे जिसके कारण यह योग अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाएगा क्योंकि दोनों ही स्वयं की राशि में रहेंगे।ठीक इसी प्रकार का योग 1962 में हुआ था।
17 अक्टूबर को आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा हैं ।इसी दिन सभी भक्तगण कलश स्थापना करते हैं कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त प्रातःकाल 6:27 से आरंभ होकर 10:23 पर्यंत रहेगा इसके पश्चात अभिजीत मुहूर्त 11:44 से प्रारंभ होकर 12:29 तक रहेगा।
*सबसे पहले यह जानते हैं कि किस दिन कौनसा देवी का वास रहेगा*
प्रथम शैलपुत्री *17अक्टूबर*
माता शैलपुत्री को पीला रंग पसंद है इसलिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए पूजा के समय पर
द्वितीय ब्रह्मचारिणी** 18 अक्टूबर**
माँ ब्रह्मचारिणी को हरा रंग पसंद है अतः इस दिन हरे रंग के वस्त्र धारण करें
तृतीय चंद्रघंटा **19अक्टूबर**
इस दिन भूरे रंग के वस्त्र धारण करें
चतुर्थ कुष्मांडा *20 October*
इस दिन आपको संतरी रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए
पंचम स्कंध माता** 21 अक्टूबर**
और इस दिन सफ़ेद रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए
छठी कात्यायनी** 22 अक्टूबर**
माँ कात्यायनी को लाल रंग बहुत पसंद है इसलिए इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करें
सातवीं कालरात्रि *23 अक्टूबर*
माँ कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए आपको इस दिन नीले रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए जिससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो
अष्टम महागौरी *24 अक्टूबर*
शास्त्रों के अनुसार माँ गौरी को प्रसन्न करने के लिए गुलाबी वस्त्र धारण करना चाहिए जो और अष्टमी की पूजन के साथ कन्याओं को भोजन भी करवाए
नवम सिद्धिदात्री *25 अक्टूबर*
माता सिद्धिदात्री को बैंगनी रंग बहुत पसंद है इसलिए माँ भगवती की पूजा करते समय बैंगनी वस्त्र धारण करने चाहिए जिससे आपके जीवन के संपूर्ण कलह का सर्वनाश हो
इसके अलावा इन शारदीय नवरात्रों में कुछ और योग भी बन रहे हैं जैसे की दिव्यपुष्कर योग-सर्वार्थ सिद्धि योग-अमृत योग -सिद्धि योग इन योगों के मिलने से भी इन शारदीय नवरात्रों में काम महत्व और बढ़ जाता है एक बात का हमेशा ध्यान रखें कि कि मंदर का स्थाना सर्वदा पूर्व दिशा अथवा उत्तर दिशा में होना चाहिए इसलिए घट स्थापना भी पूर्व या उत्तर दिशा में होनी चाहिए
इन नवरात्रों में सुयोग्य ब्राह्मण को बुलाकर सप्तशती का पाठ करवाना चाहिए इस पाठ को करवाने से आपके जीवन के संपूर्ण दोषों का नाश होता है एवं परिवार की उन्नति होती है जय माता दी